बागेश्वर/बिंदुखत्ता: मोबाइल गेमिंग की लत और उसके बाद के तनाव ने उत्तराखंड के एक होनहार किशोर की जान ले ली है। बुधवार देर रात हल्द्वानी के डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) में इलाज के दौरान कक्षा 11वीं के छात्र विक्रम सिंह (16) की मृत्यु हो गई। आशंका जताई जा रही है कि मोबाइल गेम खेलकर लौटने के तुरंत बाद उसने घातक कदम उठाते हुए सल्फास (Phosphine Tablets) का सेवन कर लिया था।
दर्दनाक घटनाक्रम
मूल रूप से बागेश्वर निवासी और वर्तमान में बिंदुखत्ता, कालिका मंदिर क्षेत्र में रहने वाले विक्रम के पिता केशर सिंह दिल्ली में कार्यरत हैं, जबकि माँ विमला एक निजी स्कूल में स्टाफ वर्क करती हैं। बुधवार की सुबह माँ नाश्ता बनाकर अपने काम पर चली गईं। नाश्ता करने के बाद, विक्रम अपने दोस्तों के साथ नजदीक ही मोबाइल गेम खेलने गया था।
गेम खेलकर घर लौटने के कुछ ही समय बाद, विक्रम ने अपने कमरे में जाकर सल्फास का सेवन कर लिया। कुछ देर बाद जब उसकी तबीयत बिगड़ने लगी और वह लगातार उल्टियाँ करने लगा, तब उसकी 14 वर्षीय बहन ने तत्काल माँ को सूचित किया।
अस्पताल में टूटा दम
घबराए परिजन आनन-फानन में उसे पहले एक निजी अस्पताल ले गए, लेकिन बिगड़ती हालत को देखते हुए उन्हें शाम 6:50 बजे एसटीएच में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद, जहर का असर इतना गहरा था कि रात 11:45 बजे विक्रम ने अंतिम साँस ली।
परिवार का कहना है कि विक्रम पढ़ाई में बहुत अच्छा था और उसने आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम क्यों उठाया, इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं है। इस हृदयविदारक घटना से पूरा क्षेत्र स्तब्ध है। पुलिस ने गुरुवार को हल्द्वानी मोर्चरी में पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया।
गेमिंग और मानसिक स्वास्थ्य पर उठे सवाल
यह घटना एक बार फिर मोबाइल गेमिंग और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के बीच बढ़ते खतरे की ओर इशारा करती है। मात्र 16 साल की उम्र में एक होनहार छात्र द्वारा इतना बड़ा कदम उठाना, समाज को बच्चों में अवसाद (depression) और गेमिंग के नकारात्मक प्रभावों पर ध्यान देने की चेतावनी देता है।


